हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या इन दिनों तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है। इसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण दिल को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके कोई खास लक्षण नहीं दिखते। हाई बीपी के कारण व्यक्ति को सिरदर्द, चक्कर आना, शिथिलता, सांस में परेशानी, नींद न आना, जरा सी मेहनत करने पर सांस फूलना, नाक से खून निकलना जैसी परेशानियां हो सकती हैं। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ब्लड प्रेशर की समस्या सिर्फ दिल को ही नहीं शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है |
हाई बीपी धीरे-धीरे आपकी धमनियों से बहने वाले रक्त के दबाव को बढ़ाता है, जिससे धमनियों की अंदरूनी परत की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। जब आपके आहार से वसा आपके रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं तो वह डैमेज्ड आर्टरीज में एकत्र होने लगता है, जिस कारण आर्टरीज वॉल्स की कम इलास्टिक होती है, जिससे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह भी सीमित हो जाता है। जब प्रेशर आपकी आर्टरीज वॉल को पुश करता है और उसे कमजोर करता है, यदि यह टूट जाता है तो आपके शरीर में खून बह सकता है और यह काफी गंभीर हो सकता है।
उच्च रक्तचाप के कारण व्यक्ति को सीने में दर्द, अनियमित दिल की धड़कन या दिल का दौरा हो सकता है। उच्च रक्तचाप होने पर व्यक्ति के हार्ट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। अतिरिक्त दबाव के कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, धीरे-धीरे व्यक्ति का हृदय काफी कमजोर हो जाता है और वह शरीर में प्रभावी रूप से रक्त पंप करने में सक्षम नहीं रहता जिससे हार्ट फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
आपको शायद पता न हो लेकिन उच्च रक्तचाप तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है। उच्च रक्तचाप के कारण समय के साथ व्यक्ति को डिमेंशिया की समस्या होती है। मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होने से याददाश्त कमजोर होती है, सोचने में समस्या होती है और चीजों की तरफ फोकस कम होता है। इतना ही नहीं, उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क की धमनियों को भी नुकसान होता है। जब मस्तिष्क में रक्त का एक बड़ा अवरोध उत्पन्न होता है, तो इसे स्ट्रोक कहा जाता है।